तुम्हारी अलमारी में आज एक किताब मिली
काफी पुरानी
पन्नो को पलट कर देखा
एक अक्षर में तुम्हारा नाम था
काफी बार पढ़ी थी तुमने लगता है
पीले पन्ने सिलाई से निकल रहे थें
एक पन्ने का मुड़ा कोना बता रहा था
तुम पढ़ते पढ़ते शायद वहां पे सो गयी थी
एक पन्ने पे पानी की बूँद से बने दाग ने बताया
के तुम वहां पे रोई थी
मैं वो पन्ना ढूंढ़ रहा था जिसे पढ़ कर
मेरे बारे में सोच कर तुम शरमाई होगी
नहीं मिला
काफी पुरानी किताब थी शायद.
aur kahi ek phool ki pankhudi
ReplyDeleteaaj bhi us mulaqat ki
gulabi yaad taaza kar gayi
shayad kuchh soch kar
panno ke beech us kshad ko
tumne kaid kiya hoga
shayad socha hoga tumne
ki ek din
mai usse khol kar
phir se tumhari yado me
kho jaunga, aur us pankhudi ko
palko pe laga kar , bheeni bheen si
khushbon ka ho jaunga
My eyes sting with potential tears. Enough said.
ReplyDeleteFrom all your writing I've read so far, I like this the bestest.
ReplyDeleteVery eloquent :)
ReplyDelete